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Locomotor Disability meaning in Hindi: लोकोमोटर विकलांगता क्या होती है? जाने पूरी जानकारी

Locomotor Disability meaning in Hindi: आज के समय में “लोकोमोटर विकलांगता” एक ऐसा विषय है जिसे लेकर लोगों के मन में कई सवाल होते हैं। बहुत से लोग इस शब्द का मतलब नहीं जानते, और जो जानते हैं उन्हें इसकी श्रेणियों, इलाज और प्रमाण पत्र की प्रक्रिया की जानकारी नहीं होती। इस लेख में हम जानेंगे कि लोकोमोटर विकलांगता क्या है, इसके कारण, लक्षण, उपचार और इससे जुड़ी सरकारी प्रक्रिया क्या है।

लोकोमोटर डिसेबिलिटी का मतलब क्या होता है?

लोकोमोटर विकलांगता का सीधा सा मतलब होता है – ऐसी शारीरिक अक्षमता जिसमें किसी व्यक्ति के चलने-फिरने, खड़े होने, बैठने या हिलने-डुलने की क्षमता प्रभावित हो जाती है। यह अक्षमता शरीर के किसी अंग विशेष जैसे हाथ, पैर, कमर या रीढ़ की हड्डी में समस्या होने के कारण होती है।

उदाहरण के लिए, किसी व्यक्ति को पोलियो हो गया हो, या एक्सीडेंट में उसका पैर खराब हो गया हो, या रीढ़ की हड्डी में चोट के कारण वह चल नहीं पा रहा हो – तो ऐसी स्थिति को लोकोमोटर विकलांगता कहा जाता है।

लोकोमोटर रोग क्या होता है?

लोकोमोटर रोग वे बीमारियाँ या शारीरिक समस्याएं होती हैं जो व्यक्ति की मूवमेंट को प्रभावित करती हैं। जैसे हड्डियों का कमजोर होना, जोड़ों का दर्द, रीढ़ की हड्डी की चोट, पोलियो, सेरेब्रल पाल्सी, या कोई फ्रैक्चर जो ठीक न हुआ हो। यह रोग शरीर के मूवमेंट सिस्टम को कमजोर बना देता है और व्यक्ति दैनिक कामों को करने में असमर्थ हो सकता है।

लोकोमोटर विकलांगता कौन सी श्रेणी में आती है?

भारत सरकार के RPWD Act 2016 (The Rights of Persons with Disabilities Act) के अनुसार, लोकोमोटर विकलांगता “शारीरिक अक्षमता” (Physical Disability) की श्रेणी में आती है। इस कैटेगरी में वे लोग आते हैं जिनकी शारीरिक गतिविधियों में बाधा होती है। इसमें निम्न स्थितियाँ शामिल हैं:

पोलियो से ग्रसित व्यक्ति

हड्डी टूटने के बाद ठीक न हो पाना

रीढ़ की हड्डी में चोट

हाथ या पैर का काम न करना

मांसपेशियों की कमजोरी (Muscular Dystrophy)

सेरेब्रल पाल्सी

इस विकलांगता की श्रेणी के आधार पर ही व्यक्ति को दिव्यांग प्रमाण पत्र मिलता है और सरकार की ओर से विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया जाता है।

लोकोमोटर विकलांगता के मुख्य कारण

लोकोमोटर विकलांगता कई कारणों से हो सकती है। कुछ सामान्य कारणों में शामिल हैं:

जन्म से शारीरिक कमी (Congenital Defect)

पोलियो वायरस का असर

सड़क दुर्घटना या गिरने से चोट लगना

हड्डियों की बीमारी जैसे ऑस्टियोपोरोसिस

सेरेब्रल पाल्सी जैसी न्यूरोलॉजिकल बीमारी

स्पाइनल कॉर्ड इंजरी

इन कारणों की वजह से शरीर का एक हिस्सा स्थायी रूप से कमजोर हो सकता है या पूरी तरह काम करना बंद कर सकता है।

क्या लोकोमोटर विकलांगता ठीक हो सकती है?

यह इस बात पर निर्भर करता है कि लोकोमोटर विकलांगता का कारण क्या है और उसकी गंभीरता कितनी है। यदि समस्या हल्की है तो समय पर इलाज, फिजियोथेरेपी, और डॉक्टर की सलाह से सुधार संभव है। लेकिन अगर यह स्थायी विकलांगता है जैसे कि पोलियो के बाद पैर काम करना बंद कर दे, तो उसे पूरी तरह ठीक करना मुश्किल होता है।

हालांकि, मेडिकल टेक्नोलॉजी में सुधार के चलते अब कृत्रिम अंग (Artificial Limbs), वॉकर, व्हीलचेयर और फिजियोथेरेपी की मदद से जीवन को सामान्य बनाने की कोशिश की जा सकती है।

लोकोमोटर विकलांगता प्रमाण पत्र कैसे प्राप्त करें?

अगर किसी व्यक्ति को लोकोमोटर डिसेबिलिटी है और वह सरकारी योजनाओं या लाभों के लिए दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाना चाहता है, तो नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो कर सकता है:

1. मेडिकल जांच कराएं

किसी सरकारी अस्पताल या अधिकृत स्वास्थ्य केंद्र में जाकर ऑर्थोपेडिक स्पेशलिस्ट से अपनी जांच कराएं। डॉक्टर आपके विकलांगता का मूल्यांकन करेगा और प्रतिशत तय करेगा।

2. जरूरी दस्तावेज़ तैयार रखें

आधार कार्ड

दो पासपोर्ट साइज फोटो

मेडिकल रिपोर्ट

एड्रेस प्रूफ

आवेदन पत्र

3. UDID पोर्टल से ऑनलाइन आवेदन करें

भारत सरकार ने दिव्यांगजनों के लिए UDID पोर्टल शुरू किया है, जहां आप ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। यहां से आप यूनिक डिसेबिलिटी ID कार्ड (UDID Card) प्राप्त कर सकते हैं, जो पूरे भारत में मान्य होता है।

4. फिजिकल वेरिफिकेशन के बाद सर्टिफिकेट जारी किया जाता है

जब सारी प्रक्रिया पूरी हो जाती है और विकलांगता 40% या उससे अधिक पाई जाती है, तो सरकारी अस्पताल द्वारा प्रमाण पत्र जारी किया जाता है।

सरकार द्वारा मिलने वाले लाभ

लोकोमोटर विकलांगता प्रमाण पत्र होने पर व्यक्ति को कई सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है, जैसे:

मुफ्त शिक्षा और छात्रवृत्ति

रोजगार में आरक्षण

सामाजिक सुरक्षा पेंशन

सब्सिडी पर ट्राईसाइकिल, व्हीलचेयर

ट्रेन और बस में यात्रा छूट

प्रधानमंत्री आवास योजना में प्राथमिकता

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